दिल्ली
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खाण्डलविप्र जाति का नामकरण एक धटना विशोष के आधार पर हुआ था।वह विशॆष धटना लोहार्गल में सम्पन्न परशुराम के यज्ञ की थी,जिसमें खाण्डलविप्र जाति के प्रवर्तक मधुछन्दादि ऋषियों ने यज्ञ की सुवर्णमयी वेदी के खण्ड दक्षिणा रूप में ग्रहण किये थे।उन खण्डों के ग्रहण के कारण ही,खण्डं लाति गृहातीति खाण्डल:इस व्युत्पति के अनुसार उन ऋषियों का नाम खण्डल अथवा खाण्डल पडा था।ब्राह्मण वंशज वे ऋषि खाण्डलविप्र जाति के प्रवर्तक हुए|
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दान एक बहुत ही मूल्यवान और धार्मिक कार्य है जो समाज के लिए बहुत अहम होता है। समाज एक साथ रहते हुए अपने सदस्यों के लिए कुछ न कुछ करने की जरूरत होती है। इसी तरह, समाज सेवा के लिए अलग-अलग समूह भी काम करते हैं जो दान और धार्मिक अभियानों को अपनाते हैं। यह उन सदस्यों के लिए एक अच्छा अवसर होता है जो अपनी धन योगदान देने के लिए तैयार होते हैं।